Read this paragraph in Hindi to learn about the investigatory projects in biology.

विज्ञान के विद्यार्थी में वैज्ञानिक मानसिकता का विकास होना आवश्यक है । विज्ञान के क्षेत्र में जो अनुसंधान कार्य होते हैं उनसे दो प्रकार के उद्देश्यों की पूर्ति होती है- विज्ञान के तथ्यों की जानकारी एवं यथार्थ की पहचान । ये उद्देश्य वास्तव में तर्कशक्ति का विकास करने में सहायक होते हैं ।

वैज्ञानिक अनुसंधान करने की एक प्रक्रिया होती है जिसे वैज्ञानिक पद्धति कहते हैं । वैज्ञानिक पद्धति से कार्य करने का अर्थ है तर्क शक्ति का विकास । वैज्ञानिक पद्धति का प्रथम एवं द्वितीय पद अर्थात् अवलोकन एवं समस्या की पहचान प्रोजेक्ट के रूप में आपको दे दी गई है ।

अब इसे अगले पदों में आपको क्या करना है, प्रयोग कौन-से डिजाइन करेंगे ? अवलोकनों एवं रेकार्ड को कैसे व्यवस्थित करेंगे, उनका विश्लेषण कैसे करेंगे जैसे पदों को आप अपने तरीके से विकसित कीजिए ।

प्रोजेक्ट का संचालन कैसे करें ?

जो प्रोजेक्ट हाथ में लिया है उसकी कार्य योजना बनाना आवश्यक होता है । प्रोजेक्ट में किए जाने वाले कार्यों को सूचीबद्ध करके उन्हें लगने वाले समय के हिसाब से कार्य योजना तैयार करें । कार्य योजना में किसी प्रयोग के लिए यदि कोई उपकरण स्वयं को तैयार करना है तो उसका भी मार्जिन रखें । प्रयोग समाप्ति पर जो अवलोकन होंगे उनका विश्लेषण आदि के लिए भी पृथक से समय देना चाहिए ।

उपकरण का उपयोग एवं प्रयोग का क्रियान्वयन:

इस हेतु प्रयोग के विभिन्न चरणों की पूरी जानकारी आरम्भ से ही होनी चाहिए । उसकी तकनीक में भी दक्षता आनी चाहिए । सूक्ष्म एवं सही अवलोकनों की अपनी महत्ता होती है अत: प्रयोग के दौरान ठीक अवलोकन करने की आदत डालिए ।

प्रयोग के दौरान लिए अवलोकनों का रेकार्ड रखना किसी भी प्रोजेक्ट का आवश्यक अंग है । रेकार्ड कैसे नोट करेंगे इस हेतु भी पूर्व में ही निर्धारण करना चाहिए । रेकार्ड में जो सांख्यिकी एकत्र हुई है उसका सही विश्लेषण करना प्रोजेक्ट की सफलता का आंकलन है । इसी से आपको विदित होता है कि समस्या के प्रति परिकल्पना इन अवलोकनों से बनेगी अथवा नहीं ? क्या कोई वैकल्पिक प्रयोग की आवश्यकता होगी आदि-आदि ।

प्रोजेक्ट की रिपोर्ट कैसे करें ?

प्रोजेक्ट की समाप्ति पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए निम्नानुसार रूपरेखा ली जा सकती है:

1. प्रस्तावना:

जिसमें समस्या के पीछे आधार एवं प्रोजेक्ट चुनाव करने का कारण स्पष्ट हो । प्रस्तावना के अंत में प्रोजेक्ट के आधार पर जो परिकल्पना उभरी है उसका जिक्र भी होना चाहिए ।

2. प्रयोग:

प्रयोग में जिस सामग्री का उपयोग किया है उसकी सम्पूर्ण जानकारी देना आवश्यक है । यदि कोई उपकरण का उपयोग हुआ है तो उसकी भी पूरी जानकारी देना चाहिए । प्रयोग करने की पूर्ण विधि का विस्तार से वर्णन करना आवश्यक होता है । ताकि उसे पढ़ने वाला यदि चाहे तो उस विधि का उपयोग कर सके ।

3. परिणाम:

अवलोकनों एवं रिकार्ड का विश्लेषण करने पर जो भी परिणाम आते हैं उनकी व्याख्या करना ।

4. निष्कर्ष:

यह प्रोजेक्टकर्ता द्वारा निकाले गए निष्कषों का चर्चा सहित विवरण होता है ।

5. सारांश:

प्रोजेक्ट रिपोर्ट के अन्त में किए गए कार्य का सारांश रिपोर्ट का आवश्यक अंग होता है ।

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