This article provides a paragraph on cholera especially written in Hindi language.

जब कभी बड़े-बड़े सम्मेलन होते हैं, मेला लगता है, जहाँ लोगों की भीड़-भाड़ अधिक होती है ऐसे स्थानों पर हैजा होने की संभावना ज्यादा होती है । इसका मुख्य कारण साफ-सफाई का नहीं होना है, जिससे भोजन दूषित होता है । जल प्रदूषित होता है और लोगों द्वारा दूषित भोजन एवं जल को ग्रहण कर लिया जाता है जो रोग का कारण बनते हैं ।

हैजा सूक्ष्मजीव:

विब्रियो कोलेरी नामक जीवापु से फैलता है । हैजा रोग से प्रभावित होने वाले अंग- पेट तथा आँत हैं ।

हैजे के लक्षण:

1. उल्टियाँ होने लगती है ।

2. जलीय दस्त होते है ।

3. मांसपेशियाँ ऐंठने लगती है । शरीर में जल की कमी होने लगती है ।

4. बुखार भी आ सकता है ।

5. तेज प्यास लगती है ।

6. जीभ सूखने लगती है ।

7. आँखे धंसने लगती है ।

8. पानी की अत्यधिक कमी से मृत्यु भी हो सकती है ।

बचाव:

यदि आस-पास हैजा फैलने की खबर मिलती है तो हमें निम्न सावधानियाँ रखना चाहिए:

1. पानी को उबालकर पीना चाहिए ।

2. भोजन को स्वच्छ स्थान पर हमेशा ढक कर रखना चाहिए ।

3. मल-मूत्र, सड़ी-गली वस्तुओं के निस्तारण की उचित व्यवस्था करना चाहिए ।

4. रोगी के सीधे संपर्क में आने से बचना चाहिए ।

नियंत्रण:

1. निर्जलीकरण से बचने के लिए जीवन रक्षक घोल पीना चाहिए । जीवनरक्षक घोल (O.R.S.) हैं ।

2. हैजे का टीका लगवाना: मेले, बाढ़, सम्मेलनों के अवसर पर हैजे का टीका लगवाना चाहिए । इससे छ: माह तक सुरक्षित रह सकते हैं ।

3. भली भांति पके हुए भोजन तथा उबले हुए पानी का उपयोग करना चाहिए ।

4. हैजा के लक्षण जैसे ही दिखाई दें तो तुरंत चिकित्सक के पास जाकर इलाज करवाना चाहिए ।

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