This article provides a paragraph on immunisation especially written in Hindi language.
टीकाकरण लैटिन शब्द वैक्सीनेशन से बना है । वैक्सीनेशन शब्द लैटिन ‘वैक्सा’ (Vacca) से लिया गया है, जिसका अर्थ गाय । टीकाकरण एक प्रक्रिया है जिसमें एक पदार्थ (प्रतिरक्षी पदार्थ) को सुई द्वारा स्वस्थ शरीर में प्रवेश कराया जाता है । इस पदार्थ के शरीर में प्रवेश करते ही शरीर उस बीमारी के प्रति प्रतिरक्षी हो जाता है ।
प्रत्येक शरीर में रोगाणु के विरुद्ध लड़ने के लिए दो प्रकार से रक्षा की जाती हैं ।
प्रत्येक सूक्ष्म जीव के विरुद्ध दो प्रकार की रक्षा विधियाँ हैं:
(1) प्राकृतिक रक्षा विधियाँ;
(2) विशिष्ट रक्षा विधियाँ
(1) प्राकृतिक रक्षा विधियाँ:
हमारा शरीर आंतरिक और बाह्य रूप से स्वयं की रक्षा करता है ।
(2) विशिष्ट रक्षा विधियाँ:
हमारे शरीर में कुछ बाहरी पदार्थों को प्रवेश करवाया जाता है । इन्हें हम एण्टीजेन कहते हैं । एण्टीजेन प्रतिरक्षा तंत्र को एण्टीबॉडीज के उत्पादन के लिए प्रेरित करते हैं । एक बार शरीर में एण्टीबॉडी बनने के बाद उस बीमारी के लिए प्रतिरक्षा विकसित हो जाती हैं ।
टीकाकरण क्यों:
शरीर में प्रतिरक्षा विकसित करने की विधि है इससे सूक्ष्मजीवों से होने वाले रोगों से बचाव होता है ।
टीकाकरण कैसे:
सूक्ष्मजीवों को कमजोर अथवा मृत स्थिति में इंजेकशन द्वारा मानव के शरीर में प्रवेश कराया जाता है । टीके के रूप में अंदर प्रवेश कराया गया सूक्ष्मजीव रोग उत्पन्न नहीं कर सकता, वरन् हमारे शरीर में एण्टीबॉडी निर्माण को प्रेरित करता है ।
चेचक, रेबीज, पोलियो, डिप्थीरिया, छोटी माता तथा हैपेटाइटिस जैसी बीमारी के लिए टीके बनाए जा चुके हैं । परंतु कई घातक रोगों के टीके अभी नहीं बनाए जा सके हैं । भारत सरकार द्वारा टीकाकरण के वृहद कार्यक्रम में टीकों द्वारा ठीक होने वाली सभी बीमारियाँ सम्मिलित की गई हैं ।