यह एक सर्व परिचित उभयचर जन्तु है जो जल में एवं जल के बाहर भी पर्याप्त समय रह सकता है । इसके लक्षण झिंगे के ही समान हैं । अत: वर्गीकरण भी उसी के अनुरूप है ।

टिप्पणी:

(1) केकड़ा एक सर्व परिचित क्रस्टेशियन आर्थोपोड है । यह जल में एवं जल के बाहर समान रूप से रह लेता है । इनकी विभिन्न जातियाँ अलवणीय एवं समुद्री दोनों प्रकार के जल में मिलती हैं ।

(2) केकड़े का शरीर पृष्ठ-अथर सतह पर चपटा एवं लगभग गोलाकार होता है ।

(3) इसका शरीर भी सिरोवक्ष एवं उदर में विभक्त रहता है किन्तु सिरोवक्ष ही मुख्य शरीर होता है । इसका उदर बहुत छोटा होता है एवं उदर-सतह से ही दिखाई देता है । सिरोवक्ष लम्बाई की अपेक्षा चौड़ाई में अधिक होता है । चलने के लिए पाँच जोड़ी टांगें होती हैं । टाँगों के अंतिम सिरों पर नखर (claws) होते हैं ।

(4) इसके शृंगिका छोटे-छोटे होते हैं । समीप ही एक जोड़ी नेत्र होते हैं ।

(5) नर केकड़े का उदर भाग मादा की अपेक्षा संकरा होता है ।

(6) उदर खण्डों में उपांग भी कम होते हैं । नर केकड़ों में जनन हेतु दो जोड़ी एवं मादा केकड़ों में अंडों को रखने के लिए चार जोड़ी उदरीय उपांग होते हैं ।

(7) मांसाहारी लोगों का यह पसंदीदा आहार है ।

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