Read this article in Hindi to learn about the structure of Fasciola, explained with the help of a suitable diagram.

हचान एवं वर्गीकरण:

यह एक बहुकोशिकीय, त्रिस्तरीय देहभित्ति एवं अदेहगुही (acoelomate) चपटे आकार का परजीवी है ।

इसे निम्नानुसार वर्गीकृत किया गया है:

जगत – जन्तु-जगत् (बहुकोशिक, विषमपोषी जन्तु)

संघ – प्लेटीहेल्मिन्थीस (त्रिस्तरीय देहभित्ति, अदेहगुही, चपटेकृमि)

वर्ग – ट्रिमेटोडा (शरीर अखंडित, चपटे परजीवी कृमि)

वंश – फेसियोला (Fasciola)

जाति – हिपेटिका (hepatica)

टिप्पणी:

(1) पत्ती के आकार एवं चपटे होने के कारण इन्हें ‘पर्णाभ-कृमि’ कहते हैं ।

(2) ये कशेरुकियों (जैसे- पशु, भेड़, बकरी, खरगोश, सुअर, कुत्ते, मनुष्य आदि) के यकृत (liver) एवं पित्तवाहिनी (bile duct) में परजीवी के रूप में रहते हैं । ये अपना जीवन-चक्र दो पोषकों में पूरा करते हैं अत: इन्हें द्विपोषी परजीवी (digenetic parasite) कहते हैं ।

(3) इसकी हिपेटिका जाति हैं (F. hepatica) भेंड को अपना प्राथमिक पोषक (primary host) बनाती हैं एवं किसी जलीय शंख (गेस्ट्रोपोड मोलस्क) को द्वितीयक पोषक (secondary host) बनाती है ।

(4) ये लगभग 1.8 से 3 से.मी लम्बे होते हैं एवं इनकी मध्य भाग में अधिकतम चौड़ाई 0.5 से 1.5 से॰मी॰ तक होती है ।

(5) इनकी बाह्य-त्वचा मोटी एवं चिकनी होती है ।

(6) इनकी अग्र सिरे पर मुख-छिद्र होता है जो मुख-चूषक (oral sucker) से घिरा होता है । उसके कुछ नीचे अधर-सतह पर पश्च-चूषक होता है, जिसे ऐसीटैब्युलम (acetabulum) कहते हैं । ऐसीटैब्युलम से सटा हुआ ऊपर की ओर जनन-छिद्र (gonopore) होता है । पश्च सिरे पर थोड़ा अधर-सतह की ओर ही उत्सर्जी-छिद्र (excretory pore) होता है ।

(7) इसका रंग हल्का गुलाबी होता है एवं थोड़ा पारदर्शी होने से शरीर स्थित शाखित आहारनाल एवं पीतक-ग्रंथियाँ (vitelline glands) देखी जा सकती हैं ।

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