Read this article in Hindi to learn about the structure of snail, explained with the help of a suitable diagram.
पहचान एवं वर्गीकरण:
कोमल शरीर का धीमी गति से चलने वाला घोंघा भी आपने लॉन, बगीचों में देखा होगा ।
इसका वर्गीकरण निम्नानुसार है:
जगत – जन्तु-जगत् (बहुकोशिकीय, विषमपोषी जन्तु)
संघ – मोलस्का (कोमल शरीर, प्राय: कवचधारी)
वर्ग – गेस्ट्रोपोडा (कुंडलित कवच अथवा कवच विहीन)
वंश – हेलिक्स (Helix) एवं पाइला (Pila)
टिप्पणी:
हेलिक्स वंश का घोंघा बाग-बगीचों, लॉन आदि की नम भूमि पर अत्यन्त धीमी गति से रेंगता हुआ देखा जा सकता है । भूमि पर पाये जाने वाले घोंघों के अलावा तालाबों, नदियों, दलदली क्षेत्रों, धान के खेतों आदि में उभयचर घोंघे भी होते हैं । पाइला (Pila) वंश का घोंघा बहुतायत से पाया जाता है ।
हेलिक्स (Helix):
(1) हेलिक्स रात्रिचर है एवं रेंगते हुए शरीर से एक चिपचिपा पदार्थ छोड़ते हुए चलता है । इस चिपचिपे पदार्थ से घोंघे को फिसलने में सहायता मिलती है ।
(2) लगभग 4 से॰मी॰ आकार के इस कोमल जन्तु की पृष्ठ-सतह पर एक कुंडलित कवच होता है । कवच के अगले भाग से सिर निकला होता है जिस पर दो जोड़ी संस्पर्शक (tentacles) होते हैं । पश्च संस्पर्शक के सिरे पर नेत्र होते हैं ।
(3) घोंघा शाहाकारी होता है । यह पत्तियों, कलियों एवं फल को अपना आहार बनाता है तथा पेड़-पौधों को हानि पहुँचाता है ।
(4) सिर के अधर-सतह पर मुख होता है । कवच के नीचे दाहिनी ओर एक छिद्र होता है जो श्वसन हेतु उपयोगी होता है ।
(5) ये उभयलिंगी होते हैं । वर्षा-ऋतु में भूमि सतह पर अण्डे देकर उन्हें ढंक देते है । लगभग एक माह में शिशु घोंघे अण्डों से उत्पन्न होते हैं ।
(6) विदेशों में घोंघे की कुछ जातियों को आहार के रूप में भी लिया जाता है ।
पाइला (Pila):
(1) यह तालाबों, धान के खेतों, झीलों, नदियों आदि के अलावा दलदली क्षेत्रों में पाया जाने वाला उभयचर घोंघा है ।
(2) यह शाकाहारी है । वनस्पति को कुतर-कुतर कर बहुत तेजी से भक्षण करता है ।
(3) इसका पूरा शरीर कवच के अन्दर रहता है । कवच में 6.5 चक्र होते हैं । आधार पर एक छदिका (operculum) होता है जिससे आधार बंद रखा जा सकता है ।
(4) आवश्यकतानुसार छदिका हटाकर फुट निकलता है तब इसका सिर, नेत्र, संस्पर्शक आदि देखे जा सकते हैं ।