Read this article in Hindi to learn about the structure of frog, explained with the help of a suitable diagram.
पहचान एवं वर्गीकरण:
यह एक जाना पहचाना उभयचर जन्तु है जो प्राय: जलाशयों के आसपास दिखाई देता है । आहट या खतरा दिखते ही ये तत्काल जलाशय में डुबकी लगा देते हैं ।
इनका वर्गीकरण निम्नानुसार है:
जगत – जन्तु-जगत् (बहुकोशिकीय, विषमपोषी जन्तु)
संघ – कॉर्डेटा (भ्रूणावस्था में नोटोकॉर्ड एवं फेरिन्जियल गिल तथा जीवन पर्यन्त पृष्ठ- सतह पर नलीनुमा तन्त्रिका-तंत्र उपस्थित)
वर्ग – एम्फीबिया (त्वचा गीली, उभयचर)
वंश – राना (Rana)
जाति – टिग्रिना (tigrina)
टिप्पणी:
(1) जलाशयों में या उनके आसपास दिन में दिखलाई देते हैं ।
(2) इनकी मोटी चिकनी त्वचा श्लेष्मा (mucous) से लसलसी रहती है एवं झुर्रीदार होती है ।
(3) पृष्ठ-सतह पर हरे रंग की एवं अधर-सतह पर हल्के पीले रंग की त्वचा होती है ।
(4) इनका शरीर नौकानुमा एवं जल में तैरने के उपयुक्त होता है ।
(5) शरीर सिर एवं धड़ में विभक्त रहता है । गर्दन नहीं होती ।
(6) सिर के सर्वोच्च शिखर पर दो उभरे नेत्र होते हैं । सिर आगे से नुकीला एवं पीछे से चौड़ा होता है । नुकीले तुण्ड (snout) पर दो बाह्य-नासाछिद्र एवं नेत्रों के पीछे कर्णपटह (tympanic membranes) होते है । नेत्रों के बीच एक ब्रो-स्पॉट (brow spot) होता है । मुख खोलने पर ऊपरी जबड़े में दाँत दिखाई देते हैं । जीभ अग्र सिरे पर, द्विशाखित होती है ।
(7) धड़ के पृष्ठ तल के मध्य में एक पृष्ठ-रेखा होती है । मेंढक जब भूमि पर बैठता है तो उसकी धड़ का पिछला भाग कूबड़ (hump) के रूप में दिखता है ।
(8) धड़ के अगले भाग से दो अगली टाँगें एवं पिछले भाग से दो पिछली टाँगे निकलती हैं ।
(9) पिछली टाँगें अपेक्षाकृत अधिक लम्बी एवं उसके पांव में उँगलियों के बीच पदजाल (foot web) होता है ।
(10) जननकाल में नर मेंढक को उसके चमकदार रंग एवं आवाज करते समय गले में उभरे स्वर-कोषों से पहचाना जा सकता है ।
(11) धड़ के पिछले सिरे पर नर एवं मादा दोनों में एक अवस्कर-छिद्र (cloacal aperture) होता है ।
(12) वर्षाऋतु इनका जननकाल होता है । मादा मेंढक जल में अंडों के एक समूह में रखती है उस पर नर अपने शुक्राणु डालता है अर्थात् बाह्य-निषेचन होता है ।
नोट:
मेंढक प्राय: जलाशयों में या उसके किनारे ही होते हैं । किन्तु हमारे घरों के आसपास उसी के समान किन्तु थलचर टोड आसानी से देखे जा सकते हैं । अत: उसका भी वर्णन यहाँ दिया जा रहा है ।