Read this article in Hindi to learn about the structure of honey bee, explained with the help of a suitable diagram.

पहचान एवं वर्गीकरण:

मधुमक्खी साधारण घरेलू मक्खी से कुछ बड़े आकार की सामाजिक कीट होती है । ये छत्ता बनाकर रहती हैं अत: इन्हें आसानी से पहचाना जा सकता है ।

इनकी वर्गीकरण भी रेशम कीट के समान ही है:

जगत – जन्तु-जगत् (बहुकोशिकीय, विषमपोषी जन्तु)

संघ – आर्थोपोडा (संधियुक्त टाँगें, शरीर की त्वचा काइटिन युक्त)

वर्ग – इन्सेक्टा या कीट-वर्ग (दो जोड़ी पंख, तीन जोड़ी चलने हेतु टाँगे, शरीर सिर, वक्ष एवं उदर क्षेत्रों में विभक्त)

वंश – एपिस (Apis)

जाति – इंडिका (indica)

टिप्पणी:

(1) मधुमक्खी की भारतीय जाति का वैज्ञानिक नाम एपिस इंडिका है । इससे बड़े आकार की मधुमक्खी एपिस डार्सेटा (Apis dorsata) एवं छोटे आकार की मधुमक्खी का नाम एपिस फ्लोरी (Apis florae) है ।

(2) मधुमक्खी एक सामाजिक कीट है । ये छत्ता बनाकर उसमें वास करती है । छत्ते में मधुमक्खी तीन रूप में मिलती है- श्रमिक (worker), नर (drones) एवं रानी (queen) ।

(3) छत्ते के सदस्यों में कार्य का विभाजन होता है-

रानी मधुमक्खी आकार में सबसे बड़ी होती है एवं उसका कार्य केवल अंडे देना होता है । श्रमिक मधुमक्खियाँ बाँझ मादा मक्खियाँ होती हैं जो छत्ते का निर्माण, अंडे-बच्चों की देखभाल, पराग एकत्र कर उससे मधु-निर्माण, छत्ते की साफ-सफाई आदि कार्य करती हैं ।  नर सदस्य संख्या में कम होते हैं । इनका कार्य मादा के साथ लैगिक जनन करना होता है । छत्ते का कोई अन्य कार्य ये नहीं करते ।

(4) शरीर रचना अन्य कीटों की तरह ही होती है । दो जोड़ी पंख एवं तीन जोड़ी टाँगों के अलावा दो संयुक्त नेत्र एवं दो शृंगिकाएँ होती हैं ।

(5) श्रमिक मधुमक्खी की टाँगों की आंतरिक सतह पर पराग एकत्र करने के लिए एक पोलेन बास्केट होती है । छत्ता निर्माण हेतु मोम-ग्रंथियां होती हैं । इनके मुखांग फूलों से रस चूसने एवं मोम को आकार देने के लिए अनुकूलित होते हैं ।

(6) मधुमक्खी से अत्यन्त महत्व का पदार्थ मधु एवं मोम प्राप्त होता है अत: ये भी बड़े आर्थिक महत्व के कीट हैं । इनसे फसलों में परागण भी होता है ।

(7) व्यापारिक स्तर पर मधु एवं मोम प्राप्त करने के लिए मधुमक्खी पालन केन्द्र होते हैं ।

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