Read this article in Hindi to learn about the two popular types of bird. The types are: 1. House Sparrow 2. Pigeon.
पाठ्यक्रम में कोई एक पक्षी का अध्ययन है । आपको सुविधा के लिए हमारे आसपास के दो पक्षियों- घरेलू चिड़िया एवं कबूतर का विवरण दिया जा रहा है ।
Type # 1. घरेलू चिड़िया (House Sparrow):
पहचान एवं वर्गीकरण:
घरेलू चिड़िया एक चिरपरिचित छोटा-सा पक्षी है । ये घर-आँगन में निवास करते हैं ।
इनका वर्गीकरण निम्नानुसार है:
जगत् – जन्तु-जगत् (बहुकोशिकीय, विषमपोषी जन्तु)
संघ – कॉर्डेटा (भ्रूणावस्था में नोटोकॉर्ट एवं फेरिन्जियल गिल तथा जीवन पर्यन्त नलीनुमा पूल तन्त्रिका तन्त्र उपस्थित)
वर्ग – एवीज (पर पिच्छ दंतविहीन चोंच, उड़ने वाले)
वंश – पेसर (Passer)
जाति – डोमेस्टिकस (domesticus)
टिप्पणी:
(1) यह एक छोटा लगभग 4-5 इंच लम्बा पक्षी है जो मनुष्य के निवास के साथ ही निवास करता है । ये दाने एवं कीट का भक्षण करते हैं ।
(2) इसकी पृष्ठ-सतह मिट्टी के समान भूरे रंग की बीच-बीच में काली पट्टियों वाली तथा अधर-सतह सफेद होती है ।
(3) नर गौरैया के गले एवं वक्ष पर काला-सा क्षेत्र होता है ।
(4) शरीर सिर, गर्दन, धड़ एवं पूँछ में विभक्त रहता है । शरीर नौकाकार होता है । सिर के अगले सिरे पर एक चोंच होती हैं, दाँत नहीं होते । धड़ पर आगे दो पंख एवं पीछे दो टाँगें होती हैं । पूँछ छोटी किन्तु उसके पिच्छ बड़े होते हैं । पूरे शरीर की त्वचा पर भिन्न-भिन्न प्रकार के पिच्छ (feathers) होते हैं । शरीर त्वचा वायवीय अनुकूलन हेतु उपयुक्त होती हैं ।
(5) टाँगों में चारन खरयुक्त उँगलियाँ होती हैं । तीन उँगलियाँ आगे की ओर एवं एक पीछे की ओर होती है ।
(6) घर-दीवार के सुरक्षित स्थान पर तिनकों का साधारण-सा घोंसला बनाते हैं । जननकाल में नर का रंग कुछ चमकदार पीला हो जाता है ।
Type # 2. कबूतर (Pigeon):
पहचान एवं वर्गीकरण:
घरेलू चिड़िया की ही तरह बड़े मकानों या पुरानी हवेलियों में निवास करने वाला कबूतर भी हम सबका परिचित पक्षी है । इसका वर्गीकरण भी घरेलू चिड़िया की ही तरह है । इसका वैज्ञानिक नाम कोलम्बा लिविया (Columba livia) है ।
टिप्पणी:
(1) कबूतर सरल स्वभाव का एवं पालतू बनाए जाने वाला बड़े आकार का पक्षी है । घरों (विशेषकर पुराने), बड़ी इमारतों में जो कबूतर पाया जाता है उसे ‘ब्लू रॉक पिजन’ (Blue rock Pigeon) कहते हैं । ये प्राय: समूहों में रहते हैं । दिन में सक्रिय रहकर दाना चुगते हैं एवं रात्रि में रोशनदान, दीवारों में गहरे कुओं में या लटकने वाली चीजों पर विश्राम करते हैं ।
(2) कबूतर प्राय: भूरे रंग के होते हैं । गर्दन पर चमकीले पिच्छों का एक कंठ-सा रहता है जिसके नीचे बैंगनी पट्टी रहती है । इसके अलावा अन्य अनेक आकर्षक रंग के कबूतर भी होते हैं ।
(3) अन्य पक्षियों के समान ही इसकी त्वचा पर पिच्छ, चोंच, दो पंख एवं दो टाँगें एवं एक पूँछ होती है । शरीर आगे-पीछे संकरा एवं बीच में मोटा होता है ।
(4) घासफूस का छोटा-सा घोंसला बनाते हैं । कबूतर वर्ष में दो बार-सफेद रंग के गोल अंडे देती हैं । घोंसला मकान के छज्जों, कुओं या दीवार की दरारों आदि में बनाया जाता है ।
(5) कबूतरों को प्रशिक्षित किया जा सकता है । पालतू कबूतर खुला छोड़ने पर भी पालक के निवास पर पुन: लौट आते हैं ।