Read this article in Hindi to learn about the aerial modifications of stems, explained with the help of suitable diagrams.

भूमि के बाहर का सामान्य तना भी कुछ पौधों में विशेष कार्य, जैसे आरोहण, रक्षा, भोजन निर्माण, वर्धी प्रजनन आदि के लिए रूपान्तरित हो जाता है ।

कुछ महत्त्वपूर्ण उदाहरण नीचे दिये जा रहे हैं:

1. अंगूर (Vitis):

i. यह अंगुर का रूपान्तरित तना है जो पतला, तार सदृश होकर प्रतान (tendril) बनाता है ।

ii. प्रतान सर्पिल एवं कुंडलित होकर आस-पास के पौधे या अन्य वस्तु के चारों ओर लिपट जाते हैं ।

iii. इन्हीं प्रतानों के सहारे अंगुर की बेल सहारे के साथ-साथ ऊपर बढ़ती जाती हैं ।

iv. प्रतान का मुख्य कार्य आरोहण (climbing) करना है ।

v. यह प्रतान पत्तियों के कक्ष या शाखा के अग्रतम सिरे से उत्पन्न होता है ।

अन्य उदाहरण:

झूमकलता (passion flower)

2. नीलकाँटा (Duranta):

i. यह तने का शूल या काँटे (thorn) के रूप में रूपान्तरण है । क्योंकि यह पत्ती के कक्ष में या शाखा के अप्रक में उत्पन्न होता है ।

ii. यह कलिका की जगह पाया जाता है ।

iii. ये मजबूत, कड़े तथा नुकीले होते हैं ।

iv. यह तने की छाल से भी गहरी पतों से उत्पन्न होता है अत: तने से अलग करना कठिन होता है ।

v. इनका मुख्य कार्य पौधे की रक्षा करना है । इनकी उपस्थिति से जानवर पौधे को नहीं खाते ।

3. नागफनी (Opuntia):

i. यह नागफनी का रूपान्तरित तना है जो चपटा, हरा एवं मांसल है।

ii. हरा एवं चपटा होने से यह पत्ती के समान दिखता है इसीलिए पर्णाभ स्तम (phylloclade) कहते हैं ।

iii. इसमें कुछ अन्तराल से पर्व सन्धियाँ पायी जाती हैं ।

iv. पर्व सन्धियों पर छोटी-छोटी पत्तियाँ निकलती हैं जो काँटों के रूप में होती हैं ।

v. हरा एवं चपटा होने से यह तना पत्तियों का कार्य अर्थात् प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया कर पौधे के लिए भोजन निर्माण करता है ।

vi. गूदेदार होने से भोजन संग्रह भी करता है ।

vii. पत्तियाँ काँटों के रूप में होने से उनका क्षेत्रफल कम हो जाता है फलत: वाष्पोत्सर्जन कम होता है ।

viii. यह रूपान्तरण सामान्यतया रेगिस्तानी पौधों में होता है ।

अन्य उदाहरण:

रात में खिलने वाले अधिकांश कैक्टस ।

4. शतावरी (Asparagus):

i. यह शतावर का रूपान्तरित तना है जिसमें तने एवं उसकी शाखाओं के शल्क पत्तियों के कक्ष से अनेक छोटी-छोटी बेलनाकार पत्तीनुमा शाखाएँ निकली हैं । इन पत्तीनुमा शाखाओं को पर्णाभ-पर्व (cladode) कहते हैं ।

ii. मुख्य तना पतला तथा चपटा होता है ।

iii. तने की पर्व सन्धियाँ पूर्ण विकसित हैं ।

iv. प्रत्येक शाखा पर शल्क पत्र के कक्ष में सुई के समान रचना होती है ।

v. पर्णाभ-पर्व एवं तना दोनों ही हरे रंग के होते हैं एवं प्रकाश-संश्लेषण का कार्य करते हैं ।

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