Here is an essay on ‘Autonomic Nervous System’ especially written for school and college students in Hindi language.
स्वायत्त क्रिया संस्थान में प्राय ऐसी प्रतिक्रियाएँ होती हैं, जिन पर मानव मस्तिष्क तथा मेरुरज्जु का नियन्त्रण नहीं होता है । ये क्रियाएँ स्वयं होती हैं । इसलिए ऐसी क्रियाओं का स्वायत्त क्रिया संस्थान के अन्तर्गत अध्ययन करते हैं ।
स्वायत्त क्रिया संस्थान को दो भागों में बाँटा गया है:
(1) अनुकम्पी तन्त्रिका संस्थान (Sympathetic Nervous System);
(2) परानुकम्पी तन्त्रिका संस्थान (Parasympathetic Nervous System) |
(1) अनुकम्पी तन्त्रिका संस्थान (Sympathetic Nervous System):
अनुकम्पी तन्त्रिका संस्थान की तन्त्रिकाएँ शरीर के वक्ष तथा कार्ट भाग के अंगों में पायी जाती हैं, तथा इन्हीं भागों से सम्बन्धित क्रियाएं होती हैं, जिन पर मानव मस्तिष्क का नियन्त्रण नहीं होता है । जैसे – हृदय की गति को बढ़ाता है, पुतली को फैलाता है, पसीने के स्राव को उत्तेजित करता है इत्यादि । इस तन्त्र की पन्त्रिकाएँ नेत्रों अश्रु-ग्रथियों नाक भूख स्वरयन्त्र फेफड़ों आमाशय जिगर आदि को कहा जाता है ।
(2) परानुक्म्पी तन्त्रिका संस्थान (Parasympathetic Nervous System):
इस संस्थान की पन्त्रिकाएँ अनुकम्पी तन्त्रिका संस्थान के विपरीत कार्य करती हैं । इनकी पन्त्रिकाएँ प्राय: लम्बी तथा पतली होती हैं, परन्तु तन्त्रिकाओं में गुच्छक छोटे होते हैं ।
इस प्रकार दोनों संस्थान के विरोधात्मक प्रभाव के कारण ही शरीर के भीतर होने वाली ये सब नित्कम क्रियाएँ जिनसे मानव अनभिज्ञ रहता है, सामान्यत: सन्तुलित दशा में होती रहती हैं, और शरीर के भीतर के वातावरण को अखण्ड बनाये रखती हैं ।
अनुकम्पी तन्त्रिका संस्थान द्वारा नियन्त्रित क्रियाएँ कन्ट, डर, क्रोध आदि संकटपूर्ण स्थितियों में तथा परानुकम्पी तन्त्रिका संस्थान द्वारा नियन्त्रित क्रियाएँ सुख, आराम व भोग-विलास के समय में अधिक सक्रिय होती हैं ।
इस सन्दर्भ में निम्न तालिका को स्पष्ट किया गया है:
तालिका-स्वायत्त तन्त्रिका तन्त्र के प्रकार्य (Functions of Autonomic Nerves System):
तन्त्रिका तन्त्र की उपर्युका व्याख्या से स्पष्ट है, कि तन्त्रिका कोशिका हमारे तन्त्रिका तन्त्र की मूलभूत इकाई है । तन्त्रिका कोशिकाएँ विशिष्ट कोशिकाओं के रूप में कार्य करती हैं, जोकि विभिन्न प्रकार के उद्दीपकों को विद्युतीय आवेग में परिवर्तन करने की क्षमता रखती हैं ।
इसके अतिरिक्त ये सूचना को विद्युतरासायनिक संकेतों के रूप में ग्रहण करने संवहन करने तथा अन्य कोशिकाओं तक संचरण करने में कुशल होती हैं ।
हमारे विकास एवं व्यवहार में अन्त स्रावी अस्थियों की क्या भूमिका है ? किस प्रकार ये कार्य करती हैं ?