Read this article in Hindi to learn about:- 1. Meaning of Cell 2. Shape and Size of Cell 3. Structure 4. Plant Cell and Animal Cell. 

कोशिका का अर्थ (Meaning of Cell):

संसार में अलग-अलग प्रकार के जीव हैं जो एक-दूसरे से बहुत भिन्न दिखाई देते हैं । परन्तु सभी का शरीर अनेक छोटी-छोटी इकाईयों से बना होता है, प्रत्येक इकाई को कोशिका कहते हैं । कोशिका शरीर की रचनात्मक एवं कार्यात्मक इकाई है । परन्तु इनकी संख्या जीवों में अलग-अलग होती है, जैसे अमीबा, पैरामीशियम चित्र 5.1, यूग्लीना जैसे जीव एक ही कोशिका से बने होते हैं तथा वे एक कोशिकीय जीव कहलाते    हैं ।

जबकि चित्र 5.2 केंचुआ, हाथी, मनुष्य, बंदर बरगद इत्यादि में अनेक कोशिकाएं होती हैं तथा वे बहुकोशिकीय जीव कहलाते हैं । कोशिकाओं की संख्या चाहे जितनी भी हो सभी जीवों में पोषण उत्सर्जन वृद्धि श्वसन तथा जनन जैसी क्रियाएं होती हैं ।

उपर्युक्त विवरण के आधार पर यह कहा जा सकता है कि जीवों के शरीर को बनाने वाली सबसे छोटी इकाई कोशिका है जिसमें जीवन के सभी कार्य होते हैं ।

कोशिका की आकृति एवं आकार (Shape and Size of Cell):

कोशिकाओं की एक विशेषता यह भी है कि उसकी आकृति एवं आकार एक समान नहीं होता है जैसे: अमीबा अनियमित आकृति का जीव है जबकि पैरामीशियम की आकृति अंडाकार (चप्पल) जैसी होती है । बहुकोशिकीय जीवों के शरीर में उपस्थित कोशिकाएं चपटी गोल अंडाकार घनाकार या अनियमित आकृति की भी हो सकती हैं साथ ही कुछ कोशिकाएं छोटी तथा कुछ बड़ी भी हो सकती हैं । इस प्रकार कोशिका की आकृति एवं आकार में काफी विविधता होती है ।

ऐसी ही कुछ विविधताएं नीचे दी गई हैं:

क्रियाकलाप:

उद्देश्य:

कोशिका का अध्ययन करना ।

सामग्री:

प्याज, लाल अभिरंजक ”सेफ्रेनिन”, पानी, काँच की पट्टी (स्लाइड), हैण्ड लैंस या सूक्ष्मदर्शी (यदि उपलब्ध हो सके तो) ।

प्रक्रिया:

सर्वप्रथम एक स्वच्छ स्लाइड लेकर उस पर प्याज की पतली झिल्ली का एक टुकड़ा निकाल कर रखिए । इस स्लाइड पर लाल अभिरंजक ”सेफ्रेनिन” की एक बूँद डालकर दो-तीन मिनिट प्रतीक्षा करें यदि अभिरंजक ”सेफ्रेनिन” अधिक हो जाता है तो पानी डालकर उसे धो लेना चाहिए । बाद में इस स्लाइड पर रखी प्याज की झिल्ली का अवलोकन हैण्ड लैंस या सूक्ष्मदर्शी द्वारा करें ।

विश्लेषण:

अवलोकन करने पर प्याज की झिल्ली में अनेक बहुभुजी आकृतियाँ दिखाई देतीं हैं ।

निष्कर्ष:

ये आकृतियाँ ही वास्तव में वे कोशिकाएं हैं जिनसे मिलकर प्याज की झिल्ली बनी है ।

कोशिका की संरचना (Structure of Cell):

कोशिका की संरचना का अध्ययन करने के लिए एक सूक्ष्मदर्शी यंत्र की आवश्यकता होती है । कोशिका का अध्ययन सर्वप्रथम वैज्ञानिक राबर्ट हुक ने सन् 1665 में किया था । इन्होंने स्वयं के बनाए हुए सूक्ष्मदर्शी से कोशिका को देखा था ।

सामान्यत: एक कोशिका में कोशिका झिल्ली केन्द्रक तथा कोशिका द्रव्य नामक तीन भाग होते हैं । साथ ही इन तीनों के अतिरिक्त कोशिका में अनेक कोशिकांग भी होते हैं । संरचनात्मक दृष्टि से पौधों एवं जंतुओं की कोशिकाएं अलग-अलग होती हैं । इनके भीतर के कोशिकांगों की उपस्थिति एवं संख्या में अंतर होता है । एक पादप एवं जन्तु कोशिका की संरचना चित्र 5.6 एवं 5.7 में दर्शाई गई है ।

प्रमुख कोशिकांग निम्नानुसार हैं:

1. कोशिका झिल्ली:

यह प्रत्येक कोशिका के चारों ओर पाई जाने वाली झिल्ली है जो कोशिका को स्थिर रखती है तथा कोशिका के अंदर-बाहर पदार्थों के आदान-प्रदान को नियंत्रित करती है ।

2. कोशिका भित्ती:

यह केवल पादप कोशिकाओं के चारों ओर पाई जाती है । पौधों की कोशिका में श्लेष्मा झिल्ली अथवा कोशिका झिल्ली के बाहर एक और परत होती है जिसे कोशिका भित्ति करते हैं । कोशिका भित्ति दृढ संरचना है जो कोशिका की रक्षा करती है ।

3. केन्द्रक:

यह कोशिका का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, जो सामान्यत: मध्य में होता है, परन्तु पादप कोशिका में कभी-कभी यह परिधि की ओर होता है । इसका कार्य कोशिका की वृद्धि एवं विभाजन करना है । यह पूरी कोशिका पर नियंत्रण भी रखता है ।

4. साइटोप्लाज्म:

केन्द्रक तथा कोशिका झिल्ली के बीच में उपस्थित प्रोटोप्लाज्मा को कोशिका द्रव्य अथवा साइटोप्लाज्म कहते हैं ।

5. माइटोकॉण्ड्रिया:

यह अंग श्वसन क्रिया में भाग लेकर ऊर्जा उत्पन्न करता है तथा संचित भी करता है । इसे कोशिका उल ऊर्जा ग्रह (पावर हाउस) भी कहते हैं ।

6. हरितलवक:

यह केवल पादप कोशिका में ही पाया जाता है तथा प्रकाश संश्लेषण का कार्य करता है ।

7. सेण्ट्रोसोम:

यह केन्द्रक के पास पाया जाता है तथा कोशिका विभाजन में सहयोग करता है ।

8. रिक्तिका:

पादप एवं जंतु दोनों कोशिका में पाई जाती हैं परन्तु पौधों में रिक्तिकाएँ बड़ी एवं मध्य में होती हैं तथा जंतु कोशिका में छोटी-छोटी अनेक रिक्तिकाएँ कोशिका में बिखरी होती हैं । इनका कार्य भोजन, पानी एवं अन्य पदार्थों का संग्रह करना तथा इनकी मात्रा का संतुलन करना है ।

9. गाल्जीकाय:

पदार्थों का संश्लेषण, भंडारण एवं स्रवण करना इनका प्रमुख कार्य है ।

10. लाइसोसोम:

ये कोशिका में आने वाले पदार्थों को पचाने का कार्य करते हैं ।

11. राइबोसोम:

प्रोटीन संश्लेषण में सहायक होते हैं ।

12. अन्त: पद्रव्यी जालिका:

झिल्लियों की बनी हुई जटिल जालनुमा संरचना अन्त: पद्रव्यी जालिका कहलाती है जो कि केन्द्रक से जुड़ी होती है अथवा इससे मुक्त रूप से पायी जाती है । यह केन्द्रक झिल्ली व कोशिका द्रव्य के बीच में संबंध बनाती है । यह प्रोटीन के संश्लेषण में सहायता करती है ।

पादप कोशिका एवं जन्तु कोशिका (Plant Cell and Animal Cell):

दोनों कोशिकाओं के अध्ययन से हम यह जान चुके हैं कि अधिकांश कोशिकांग पादप एवं जंतु कोशिका में समान रूप से पाए जाते हैं परन्तु फिर भी कुछ कोशिकांग ऐसे होते हैं जो केवल पादप या केवल जंतु कोशिका में पाए जाते हैं । इस आधार पर ही इन दोनों कोशिकाओं की पहचान की जाती है ।

कोशिकांगों में अंतर होने से इनके कार्य भी बदल जाते हैं जैसे हरितलवक की उपस्थिति के कारण ही पादप कोशिका प्रकाश संश्लेषण कर सकती है । इसी प्रकार जंतु कोशिका में सेन्ट्रोसोम होता है, पौधों की कोशिकाओं में नहीं ।

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