Read this article in Hindi to learn about the structure of bacteria with the help of suitable diagrams.

ये अत्यंत छोटे सूक्ष्म जीव हैं जिन्हें बैक्टीरिया भी कहा जाता है । ये सामान्यत: एक कोशिकीय होते हैं जो हवा, मिट्टी, जल सभी जगह पाए जाते हैं, परन्तु नमीयुक्त स्थानों पर अधिक पाए जाते हैं । ये गोल या छड़ की आकृति वाले सूक्ष्मजीव हैं । ये अत्यंत तीव्रता से विभाजन करके अपनी संख्या में वृद्धि करते हैं । सामान्यत: इनमें प्रजनन द्विखण्डन विधि द्वारा होता है ।

संरचना:

जीवाणुओं की कोशिका के चारों ओर कोशिका भित्ति पाई जाती है । इस कोशिका भित्ति के अन्दर की ओर जीव द्रव्य होता है जिसमें केवल कुछ कोशिकांग, संचित भोजन एवं आनुवांशिक पदार्थ होता है ।

जीवाणु की कोशिका में सुस्पष्ट केन्द्रक तथा झिल्ली वाले कोशिकांग नहीं होते हैं । जीवाणुओं की कोशिका भित्ति अपने चारों ओर एक कठोर आवरण बनाती है जो कोशिका की रक्षा करता है । कुछ जीवाणुओं की कोशिका के बाहर गति के लिए धागे जैसी एक या अनेक रचनाएँ पाई जाती हैं जिन्हें फ्लैजिला कहते हैं ।

आर्थिक महत्व:

जीवाणुओं को आमतौर पर हानिकारक समझा जाता है परन्तु ये हमारे लिए अनेक लाभदायक कार्य भी करते हैं । इसीलिए इन्हें हमारे शत्रु एवं मित्र दोनों कहा जाता है ।

लाभदायक क्रियाएं:

1. दूध से दही का निर्माण ।

2. प्रतिजैविक दवाइयों का निर्माण ।

3. किण्वन द्वारा खादृा पदार्थों का निर्माण ।

4. खाद एवं उर्वरक निर्माण में ।

5. उद्योगों में एल्कोहल, सिरका एवं अन्य उत्पाद बनाने में ।

हानिकारक क्रियाएँ:

1. मनुष्यों में निमोनिया, टी.बी., हैजा जैसे रोग होते हैं ।

2. पौधों में भी रोग फैलाते हैं जैसे नींबू का केन्कर, आलू का गलन रोग आदि ।

3. अनेक जीवापु भोजन को खराब करके विषैला बना देते हैं ।

4. उपयोगी सामग्री एवं फर्नीचर पर उगकर उन्हें खराब कर देते हैं ।

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