Read this article in Hindi to learn about the structure of mushroom, explained with the help of a suitable diagram.

पहचान एवं वर्गीकरण:

कुकरमुत्तों के नाम से परिचित ये कवक छत्री के आकार के होते हैं एवं गीली लकड़ी, सड़ती हुई वस्तुओं आदि पर पाये जाते हैं ।

इनका वर्गीकरण निम्नानुसार हैं:

जगत् – फन्जाई-जगत् (क्लोरोफिल रहित, यूकैरियोटिक बहुकेन्द्रकी कोशिका, विषमपोषी)

डिवीजन- बेसिडियोमाइकोटा (जनन मुगदर के आकार के बेसिडिया द्वारा)

वंश – एगोरिकस (Agaricus)

टिप्पणी:

(i) ये बड़े आकार के गूदेदार कवक होते हैं जो छतरीनुमा दिखाई देते हैं ।

(ii) ये सड़ते हुए गीले लकड़ी के लट्ठों, वृक्ष के तनों, सड़ते हुए किसी भी कार्बनिक पदार्थो एवं पर्याप्त मात्रा में कार्बनिक पदार्थो से युक्त नम भूमि में उगते हैं ।

(iii) इसकी कुछ जातियाँ खाने योग्य होती हैं । खनिज लवणों से भरपूर इन्हें पौष्टिक आहार माना जाता है । कुछ जातियाँ विषैली होती हैं ।

(iv) इनका शरीर भूमि या लकड़ी के भीतर तथा बाहर होता है । भूमि के भीतर बहुत सारे शाखित कवक-जाल (हाइफी) होते हैं भूमि के बाहर एक वृन्त (stalk) एवं उसके ऊपर टोप के समान छत्रक (pileus) होता

है । छत्रक की अधर सतह पर अनेक प्लेटनुमा रचनाएँ पटलिकाएँ या गिल्स (gills) होती हैं ।

(v) वृन्त एवं छत्रक गूदेदार होते हैं एवं एक-दूसरे से गुथे अनेक कवक-तन्तुओं (hyphae) के बने होते हैं । छत्रक के गिल्स पर ही मुगदर के आकार के जनन-अंग बेसिडिया होते हैं जिनसे बेसिडियोस्पोर निर्मित होते हैं इसीलिए इन्हें ‘मुगदर कवक’ या क्लब फन्जाई (club fungi) कहते हैं ।

(vi) खाने योग्य मशरूम की आजकल बड़े पैमाने पर खेती होती है जो विशेष प्रकार के कक्षों में यंत्रों की सहायता से की जाती है ।

Home››Botany››Structures››