Read this article in Hindi to learn about the structure of a mustard plant, explained with the help of a suitable diagram.

पहचान एवं वर्गीकरण:

बाग-बगीचों, सड़कों के किनारे, मैदानों, पहाड़ों आदि पर पाये जाने वाले अधिकांश पुष्पीय पौधे, झाड़ियाँ एवं वृक्ष द्विबीजपत्री होते हैं । अर्थात् जिनके बीज में दो दालें हों या बीजपत्र हों । चने, मटर, अरहर, सरसों, मूँगफली, तुलसी जैसे छोटे पौधों से लेकर नीम, आम, जामुन, जाम, अशोक, पीपल, वट-वक्ष, सागौन जैसे वृक्ष इसी श्रेणी में आते हैं । यहाँ नमूने के तौर पर सरसों के पौधे का वर्णन किया है ।

द्विबीजपत्री पौधों का वर्गीकरण निम्नानुसार है:

जगत् – वनस्पति-जगत् (हरे, बहुकोशिकीय, स्वपोषी)

डिविजन – ट्रेकियोफाइटा (संवहन ऊतक उपस्थित)

उपडिविजन – स्पर्मोंप्सिडा (पुष्पीय एवं बीजधारी पौधे)

वर्ग – डाइकॉटलिडोनी (द्विबीजपत्री पौधा)

वंश – ब्रेसिका (Brassica)

जाति – जुन्सिया (juncea)

टिप्पणी:

(1) सरसों का पौधा रबी की फसल के रूप में उगाया जाता है ।

(2) इसकी जड़-तंत्र, तना एवं पत्तियाँ पूर्ण रूप से विकसित होते हैं ।

(3) जड़ें, मूसला प्रकार (tap root) की हैं । मुख्य जड़ से अनेक शाखाएँ, उपशाखाएँ निकलकर एक सम्पूर्ण जड़तन्त्र बनाती हैं ।

(4) तना सीधा, ठोस, बेलनाकार एवं हरा होता है । तने पर नीचे साधारण पत्तियाँ एकान्तर क्रम में जमी होती हैं । ऊपर की ओर फल एवं फूल भी इसी तरह से जमे होते हैं ।

(5) पत्तियाँ डंठलयुक्त आधार पर संकरी किन्तु शीर्ष की ओर चौड़ी होती हैं । किनारे कटे होते हैं ।

(6) तने पर ऊपर की ओर फली के रूप में फल होते हैं । फल के अन्दर सरसों के पीले बीज निकलते हैं । फली के फटने से बीज हवा में फैलते हैं ।

(7) फूल पीले रंग के आकर्षक होते हैं । इनमें चार अंखुड़ी या बाह्यदल (sepals), चार पंखुड़ी या दलपुंज (petals) होते हैं । पुष्प के बीच में लम्बा फलीनुमा अंडाशय, छोटी-सी वर्तिका (style) एवं गोल शीर्ष के रूप में वर्तिकाग्र (stigma) होते हैं । अंडाशय के घेरे हुए पुष्पासन (thalamus) से जुड़े छ: पीले पुंकेसर होते हैं । पुंकेसरों के तन्तु पर परागकोष लगे होते हैं ।

(8) यह आर्थिक महत्त्व का तिलहन पौधा है । बीजों से खाद्य-तेल बनता है ।

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